ॐ नम: शिवाय

किं तस्य बहुभिर्मन्त्रै: किं तीर्थै: किं तपोऽध्वरै:।
यस्यो नम: शिवायेति मन्त्रो हृदयगोचर:
-(स्कन्दपुराण)



(जिसके हृदय में ‘ॐ नम: शिवाय’ मन्त्र निवास करता है, उसके लिए बहुत-से मन्त्र, तीर्थ, तप और यज्ञों की क्या आवश्यकता है! )


Comments

  1. मनीष भैया,
    आपका बहुत-बहुत स्वागत और आभार इस वेबसाइट को बनाने के लिए। अब आपकी यात्राओं की कहानियाँ और फोटोग्राफ इकट्ठे एक जगह पर ही उपलब्ध होंगी जिससे हम जैसे अल्पज्ञानिओ को अपने भारत के बारे में जानने का एक नया अवसर मिलेगा।
    आशा करता हूँ कि आने वाले समय में आपकी यह वेबसाइट लाखों लोगों तक पहुचे।
    और धन्यवाद मेरे बनारस की फोटो को अपने प्रथम पोस्ट मे जगह देने के लिए।
    आपका शुभचिंतक
    @Jal_Tarang85

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