यह पुस्तक, आपको कभी उदास कर देगी, आपको नटखट किशोर घटनाओं से गुदगुदाएगी, आपको भावुक कर देगी





मैं मुन्ना हूं, एक क्यूट से लड़के के परेशान बचपन के बारे में एक दिल को छू लेने वाली कहानी जो रिश्तेदारों, पड़ोसियों और अज्ञात लोगों द्वारा उनकी हवस का शिकार बनाया गया था। लड़का आखिरकार एक दिन अपने यौन उत्पीड़न को ना कहने का साहस जुटाता है। हालांकि वह ना कह देता हैं और बचकर भाग जाता हैं, फिर भी वह अब भी परेशान है और भयावह यादों से ग्रसित है।


शारीरिक और मानसिक रूप से अकेला वह भटक रहा होता है और दिव्य समर्थन पाता है और फिर से थोड़ा सामान्य महसूस करने लगता है। कहानी बचपन की शरारतों और मुन्ना के अनगिनत किस्सों के साथ आगे बढ़ती है। किशोरावस्था अपनी कई कहानियां और प्यारी परेशानियों को लाता है, जो मुन्ना कुशलता से निपटता है।

एक युवा मुन्ना अपने बचपन के क्रश से मिलता है और अन्तः उससे शादी करता है। कहानी यहाँ से एक नया मोड़ लेती है ... उसकी शादीशुदा ज़िन्दगी कैसी होती है, यह जानने के लिए किताब पढ़ें कि कैसे एक व्यक्ति जिसने बचपन के यौन शोषण का सामना किया है, वो जीवन में कैसे आगे बढ़ता है। यह कहानी हमें अपने बच्चों से यौन शोषण के बारे में क्यों बात करनी चाहिए यह भी बताती हैं।

यह पुस्तक, आपको कभी उदास कर देगी, आपको नटखट किशोर घटनाओं से गुदगुदाएगी, आपको भावुक कर देगी और अधिकांश समय आपको सोचने पर मजबूर कर देगी। अंत आपको भ्रमित कर सकता है, उसको समझने के लिए मनीष जी की पहली पुस्तक "रूही- एक पहेली" पढ़े.....

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